What is the Reason for the Dryness in Rajasthan in Hindi ?
राजस्थान में सूखे का कारण क्या है?
Rajasthan राज्य उपोष्ण कटिबन्ध में स्थित है। राजस्थान में अरावली पर्वत श्रेणियों ने जलवायु की दृष्टि से राजस्थान को दो भागों में विभक्त कर दिया है।
पश्चिम क्षेत्र: यह अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण अत्यल्प वर्षा प्राप्त करता है। यहाँ शुष्क जलवायु पाई जाती है।
पूर्वी भाग: अरावली के पूर्वी भाग में तापक्रम में प्रायः एकरूपता, अपेक्षाकृत अधिक आर्द्रता एवं सामयिक वर्षा देखने को मिलती है। इस प्रकार इस भाग में आर्द्र जलवायु पाई जाती है।
राजस्थान की जलवायु की विशेषताएँ :
1. राज्य की लगभग समस्त वर्षा गर्मियों में (जून के अंत में व
जुलाई, अगस्त में ) दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी हवाओं से होती है। शीतकाल में बहुत कम वर्षा उत्तरी पश्चिमी राजस्थान में भूमध्य सागर से उत्पन्न पश्चिमी विक्षोभों से होती है, जिसे 'मावठ' कहते हैं। वर्षा का वार्षिक औसत लगभग 58 से. मी. है।
2. वर्षा की मात्रा व समय अनिश्चित। वर्षा के अभाव में आए वर्ष अकाल व सूखे का प्रकोप रहता है।
3. वर्षा का असमान वितरण है। दक्षिणी पूर्वी भाग में जहाँ अधिक वर्षा होती है वहीं उत्तरी पश्चिमी भाग में नगण्य वर्षा होती है।
राजस्थान में सूखे का कारण:
राज्य की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक :
• राज्य की अक्षांशीय स्थिति प्रचलित हवाएँ
• महाद्वीपीयता
• समुद्र से दूरी
• पर्वतीय अवरोध व ऊँचाई समुद्र तल से औसत ऊँचाई
1. अक्षांश (Latitude) :
भारत का उत्तरी भाग शीतोष्ण कटिबंध में और कर्क रेखा के दक्षिण में स्थित भाग उष्ण कटिबंध में पड़ता है। उष्ण कटिबंध भूमध्य रेखा के अधिक निकट होने के कारण सारा साल ऊँचे तापमान तथा कम दैनिक और वार्षिक तापांतर का अनुभव करता है। कर्क रेखा से उत्तर में स्थित भाग में भूमध्य रेखा से दूर होने के कारण उच्च दैनिक तथा वार्षिक तापांतर के साथ विषम जलवायु पायी जाती है। राजस्थान 23°3' से 30°12' उत्तरी अक्षांशों के मध्य स्थित है। कर्क रेखा राज्य के दक्षिण से होकर गुजर रही है। अतः राजस्थान का धुर दक्षिण का भाग उष्ण कटिबन्ध में आता है जबकि अधिकांश भाग उपोष्ण कटिबन्ध में आता है। यह अक्षांशीय भिन्नता वायुमण्डलीय अवस्थाओं में भी भिन्नता अवश्य पैदा करती है। शीत ऋतु की समताप रेखाएँ अक्षांश रेखाओं के लगभग समानान्तर दिखाई पड़ती है। जिनसे स्पष्ट होता है कि तापमान में कर्क रेखा और 30° उत्तरी अक्षांश से अन्तर प्रस्तुत होता है।
फूल पत्ती वाली Utkarsh Classes Current affairs August 2021 Complete HD ebook with All Pages in Only Rs 20
2. समुद्र से दूरी (Distance from the Sea):
राजस्थान की स्थिति समुद्र से दूर तथा उपमहाद्वीप के आन्तरिक भाग में होने के कारण समुद्र का समकारी प्रभाव परिलक्षित नहीं होता है। इसलिए यहां की जलवायु में 'महाद्वीपीय जलवायु (Continental Climate)' के लक्षण पाए जाते हैं।
3. घरातल (Relief) : राज्य का धरातल विभिन्नताओं से युक्त है। इसका अधिकांश भाग समुद्र तल से 370 मी. से कम ऊँचा है। केवल अरावली पर्वत तथा दक्षिणी पूर्वी पठारी भाग 370 मी. से अधिक ऊँचे पाए जाते हैं। इसलिए ऐसे धरातल युक्त राज्य में तापक्रम की लगभग एक-सी विशेषताएँ एवं अवस्थाएँ नहीं पाई जाती है। पश्चिमी रेतीले भू-भाग में ग्रीष्म ऋतु में दिन का तापमान कभी-कभी 50° सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
वहीं रात्रि का तापमान गिरकर ग्रीष्म ऋतु में ही 14°C से 17°C तक पाया जाता है। इसके विपरीत सर्दी की ऋतु में तापमान इन्हीं स्थानों का कभी हिमांक बिन्दु से भी नीचे पहुँच जाता है और पाला पड़ना एक सामान्य बात होती है, जिससे रबी की फसलों को बहुत नुकसान होता है। पश्चिम से आने वाली हवाओं का भी स्वभाव शुष्क एवं गर्म होता है। अतः जब ये राजस्थान से होकर गुजरती है तब यहाँ के वातावरण को अधिक गर्म कर देती हैं। परिणामतः उपस्थित आर्द्रता का प्रतिशत घट जाता है। वर्षा की सम्भावनाएँ कम हो जाती है। शीत ऋतु में इन पश्चिमी हवाओं के साथ आने "शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात" जब राजस्थान राज्य से होकर गुजरते हैं तब उत्तरी राजस्थान में अधिक तथा अन्य भागों में कम वर्षा करते हैं। ये भी धरातलीय स्वभाव के कारण ही वर्षा करते हैं।
4. अरावली पर्वत श्रेणियों की दिशा (Direction of Aravali Mountains) :
अरावली पर्वत श्रृंखलाएँ उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर राज्य के मध्य भाग में कर्णवत् रूप से फैली हुई हैं। इन पर्वत श्रेणियों की इस दिशा के कारण वर्षा ऋतु में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व को बहने वाली मानसून हवाओं को इनके सहारे-सहारे बे-रोकटोक हिमालय पर्वत तक पहुँच जाना पड़ता है। यदि इनकी दिशा मानसून हवाओं की दिशा के प्रतिकूल या लम्बवत् होती तब मानसून हवाओं को इनकी ऊँचाई के कारण अचानक ऊपर उठना पड़ता तथा उनके संघनन होने के कारण वर्षा होती। किन्तु इनकी दिशा मानसूनीय हवाओं के समानान्तर होने के कारण राज्य में बहुत कम वर्षा हो पाती है और पश्चिमी भाग में तो बहुत ही कम। ग्रीष्म और स के तापमान में दैनिक, मासिक और वार्षिक तापमान में अत्यधिक तापान्तर पाया जाता है, जिसका कारण भी अरावली पर्वत ही है क्योंकि इसकी स्थिति के कारण पूर्वी व पश्चिमी राजस्थान की जलवायु अवस्थाओं में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता और एकरूपता नहीं आ पाती। अरावली पर्वत का दक्षिणी-पश्चिमी भाग अधिक ऊँचा एवं क्रमबद्ध है इसलिए यहाँ तापमान अधिक ऊँचा नहीं जा पाता। गर्म 'लू' के थपेड़े अनुभव नहीं होते, वर्षा की मात्रा राज्य के अन्य स्थानों से अधिक होती है तथा पर्वतीय स्थिति के
कारण आर्द्र जलवायु (Humid Climate) पाई जाती है। आबू पर्वत पर ग्रीष्म ऋतु अपेक्षाकृत कम गर्म एवं रातें ठंडी होती है।
5. धरातल की ऊँचाई एवं स्वभाव (Height of Relief and it's Nature) : ऊँचाई के साथ तापमान घटता है। विरल वायु के कारण पर्वतीय प्रदेश मैदानों की तुलना में अधिक ठंडे होते हैं। धरातल की ऊँचाई के कारण माउन्ट आबू (ऊँचाई 1722 मीटर) का तापमान सर्दियों में जमाव बिन्दु 'शून्य' तक पहुँच जाता है जबकि जयपुर का तापमान सामान्यतः 50 सेल्सियस से नीचे बहुत कम पहुँच जाता है।
जलवायु के आधार पर राज्य में मुख्यतः तीन ऋतुएँ पाई जाती हैं
• ग्रीष्म ऋतु - मार्च से मध्य जून तक
• शीत ऋतु
• नवम्बर से फरवरी तक ।
• वर्षा ऋतु मध्य जून से सितम्बर तक अक्टूबर - नवम्बर माह मानसून के प्रत्यावर्तन का समय होता है।
राज्य में कम वर्षा के कारण :
• बंगाल की खाड़ी का मानसून गंगा के मैदान में अपनी आर्द्रता लगभग समाप्त कर चुका होता है।
• अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाओं की गति के
समान्तर ही अरावली पर्वत श्रेणियाँ हैं, अतः हवाओं के बीच
'अवरोध न होने से वे बिना वर्षा किये आगे बढ़ जाती हैं।
• मानसूनी हवाएँ जब रेगिस्तानी भाग पर आती हैं तो अत्यधिक गर्मी के कारण उनकी आर्द्रता घट जाती है, जिससे वे वर्षा नहीं कर पाती।
Tag- what did the reason for the dryness in rajasthan in hindi, information about the climate of rajasthan, why is the climate of rajasthan hot and dry, describe the climate of rajasthan, climate of the rajasthan, राजस्थान की जलवायु-climate of rajasthan utkarsh, utkarsh classes Notes, Shubhash charan notes
To request Any Ebook Please Comment Down Below😊