Advertisement

India's Defense System (भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी) Complete Notes

India's Defense System (भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी) Complete Notes for IAS, PCS, SSC, RAILWAY 

Search Result:

  • Indian Defense System PDF
  • भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी
  • Shorts Notes on Indian Defense System
  • प्रमुख भारतीय टैंक
  • भारतीय विमान प्रौद्योगिकी
  • भारतीय नौसैनिक जहाज एवं पनडुब्बियाँ
  • भारतीय रडार या निगरानी प्रणाली
  • भारत की परमाणु प्रौद्योगिकी
  • भारत की मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र) प्रौद्योगिकी


India's Defense System (भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी) Complete Notes




प्रमुख भारतीय टैंक


* अर्जुन टैंक - युद्ध टैंक अर्जुन डीआरडीओ के द्वारा तैयार किया गया है। यह ऐसा युद्धक टैंक है, जिसमें अधिक फायर करने की शक्ति, उच्च परिवर्तन उत्कृष्ट बचाव मौजूद है। यह दिन एवं रात सभी प्रकार के मौसमों में चल सकता है। चलते समय यह सटीक लक्ष्य भेद सकता है। इसकी अधिकतम गति 70 किमी / घंटा है। यह चारों ओर निगरानी करने में सक्षम है। यह 1400 अश्व शक्ति वाला टैंक है।


* कर्ण टैंक - यह टैंक अर्जुन तथा रूसी टैंक 1-72 टैंकों को मिलाकर बनाया - गया है। यह मध्यम श्रेणी का हल्का टैंक है। इसका वजन 48 टन है। इस टैंक में विमानों को ध्वस्त करने वाली मशीनगन लगी है।


* अर्जुन मार्क-II - भारत में स्वदेश निर्मित टैंक अर्जुन मार्क II का परीक्षण 2011 में हुआ। इसका वजन 66 टन तथा गति 40 किमी./घंटे से 60 किमी / घंटे के मध्य है। यह मिसाइल दागने में सक्षम है।


* टी-90 (भीष्म टैंक) - यह मध्यम श्रेणी का युद्धक टैंक है। यह टैंक जैविक तथा रासायनिक आक्रमण की स्थिति में भी सक्रिय रह सकता है तथा बारूदी सुरंगों से भी स्वयं का बचाव कर सकता है। यह 1100 अश्व शक्ति का टैंक है।


* भीम - डीआरडीओ द्वारा थल सेना के लिए स्वचालित तोप टैंक का विकास किया गया। इसमें एक साथ 50 राउण्ड गोले रखे जा सकते हैं। इसमें तोपों को भरने की स्वचालित व्यवस्था की गई है।


* धनुष (तोप) - धनुष भारतीय सेना की 155 मिमि टोड़ होवित्जर तोप है। यह स्वदेशी बोफोर्स के नाम से जानी जाती है। यह दो फायर प्रति मिनट करने के साथ-साथ लगातार दो घण्टे तक फायर करने में सक्षम है।

भारतीय विमान प्रौद्योगिकी


* तेजस-रक्षा उपकरणों में अत्याधुनिक हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस द्वारा प्रथम उड़ान वर्ष 2005 में बंगलुरु से भरी गई। यह विश्व का सबसे छोटा, हल्का तथा बहुउद्देशीय सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। यह हवा से हवा, हवा से जमीन व हवा से समुद्र में मार करने की क्षमता से युक्त हैं। यह प्रत्येक मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है। इसकी गति 1.8 मैक तथा वजन 5500 किग्रा है।


* एल.सी.ए. नेवी - यह तेजस का नौसैनिक संस्करण है। इसमें एन.पी.-1 पायलटों को प्रशिक्षण के लिए व एन.पी.-II का प्रयोग नौसैनिक लड़ाकू जहाज के लिए किया जाएगा।


निशान्त- यह पायलट रहित प्रशिक्षण विमान है, जो स्वदेशी तकनीक से बना है। यह रिमोट कंट्रोल से संचालित होता है। यह रडार की पकड़ में नहीं आता हैं, क्योंकि यह मजबूत फाइबर ग्लास एवं कम्पोजिट मैटेरियल से बना है। इसका कार्य युद्ध क्षेत्र का पर्यवेक्षण करना तथा टोह लेना है।


 रुद्र- यह एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव का हथियारबद्ध संस्करण है। यह 55 टन का है। इसे 20 मिमी. की बन्दूकों तथा 70 मिमी. के टैंकनाशी निर्देशित मिसाइलों द्वारा लैस किया गया है। यह देश में निर्मित एक स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर है।


* हंस-3 - यह दो सीटों वाला प्रशिक्षण विमान है। इसका वजन 750 किग्रा. तथा इसकी गति 215 किमी./घंटा है। यह अत्यंत हल्के एवं मजबूत फाइबर ग्लास से बना है।


लक्ष्य - यह डीआरडीओ द्वारा निर्मित पायलट रहित स्वदेशी विमान है। इसकी रफ्तार 500 किमी./घंटा है। जेट इंजन से चलने वाला यह विमान 10 बार प्रयोग में लाया जा सकता है। इसका प्रयोग जमीन से हवा तथा हवा से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों एवं तोपों से निशाना लगाने के लिए प्रशिक्षण हेतु किया जा रहा है।


* अवाक्स अवाक्स यानी है- एयरबॉर्न वार्निंग एण्ड कंट्रोल सिस्टम। यह एक निगरानी प्रणाली है, जो विमानों पर लगाई जाती है। यह शत्रु विमानों एवं मिसाइलों पर नजर रखता है। भारत ने स्वदेशी (AAWCS) एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एवं कण्ट्रोल सिस्टम को ब्राजील के ऐम्बेयर विमान पर लगाया गया है। अवाक्स अपनी राष्ट्रीय सीमा से 100 किमी. तक की गतिविधियों की सूचना देने में सक्षम है।


+ ओरियन पी-3 विमान - ओरियन पी-3 अमेरिकी टोही विमान है। इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। यह रडार उपकरण से युक्त है। इसमें नवीनतम सेंसर कमाण्ड एवं कन्ट्रोल शस्त्र प्रणाली भी है। यह विमान शत्रु के किसी भी पोल को नष्ट करने में सक्षम है।

सुखोई-30 - यह रूस द्वारा निर्मित आधुनिक किस्म का बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है, जो भारतीय सेना में शामिल है। इसके द्वारा विभिन्न प्रकार की 12 मिसाइलें एक साथ दागी जा सकती हैं।

* ध्रुव - दो इंजन वाला एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव स्वदेशी है। इसे वर्ष 2002 में सेना में शामिल किया गया है। इसकी अधिकतम गति 245 किमी./घंटा है।

इसमें 14 व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है। 

* रुस्तम- I - डीआरडीओ की वैमानिक विकास प्रतिष्ठान प्रयोगशाला बंगलुरु द्व बारा रुस्तम-I का निर्माण किया गया। यह 14 घंटे तक उड़ान भरने तथा 8000

मीटर की ऊँचाई तक जाने में सक्षम है। यह मानवरहित विमान है। 

एडवांस्ड जेट ट्रेनर (एजेटी) - यह ब्रिटेन निर्मित प्रशिक्षण विमान है। इसे वर्ष 2008 में वायुसेना में शामिल किया गया है। दो सीटों वाला यह विमान विभिन्न हथियार जैसे 1000 पौण्ड के बम, हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल इत्यादि को एक साथ ले जाता है।


* चीनूक हेलीकॉप्टर - 26 मार्च, 2019 को अमेरिका में निर्मित यह हेलीकॉप्टर भारी वजन को उठाने में सक्षम है। यह हेलीकॉप्टर किसी भी तरह के मौसम में उड़ान भर सकता है तथा दुर्गम एवं ऊँचे इलाकों में जल्दी पहुँच सकता है तथा छोटे हैलीपैड और घनी घाटियों में भी उतर सकता है।

भारतीय नौसैनिक जहाज एवं पनडुब्बियाँ


* आई.एन.एस. दिल्ली - आई.एन.एस. दिल्ली मझगाँव डॉक लिमिटेड द्वारा निर्मित है। इसे वर्ष 1997 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसकी गति 28 समुद्री मील/ प्रति घंटा है। इसे परमाणु तथा रासायनिक युद्ध के वातावरण से निपटने हेतु रूस की सहायता से डिजाइन किया गया है।


* आई.एन.एस. मैसूर- आई. एन. एस. मैसूर का निर्माण मझगाँव डॉक लिमिटेड द्व बारा मुम्बई में किया गया। इसे जून 1999 में सेना में शामिल किया गया। इसकी गति 32 समुद्री मील / प्रति घंटा है। यह विभिन्न प्रकार के शस्त्रों से युक्त है। आई.एन.एस. मुम्बई इसे भी मझगाँव डॉक लिमिटेड द्वारा बनाया गया तथा • 2001 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।


* आई.एन.एस. राजपूत- यह एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक है। इसे 1980 में नौसेना में शामिल किया गया, इसकी लम्बाई 147 मीटर है। इसकी गति 35 समुद्री मील है।


* आई.एन.एस. ऐरावत- यह देश का छठा लैंडिंग शिपयार्ड है। इसे 2009 में सेना को सौंपा गया। इस पर 10 टैंक, 11 ट्रक, 500 सैनिक व चालक दल के 170 सदस्य तैनात रहते हैं।


* आई.एन.एस. जलाश्व - यह जमीनी तथा जलीय युद्ध क्षमता से युक्त है। इसे अमेरिका से खरीदा गया तथा 2007 में नौसेना में शामिल किया गया, इसकी गति 20 समुद्री मील है।


* आई.एन.एस. तलवार- यह रूस द्वारा बनाया गया तथा 2003 में इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। यह 200 किमी. से अधिक दूरी तक मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों तथा अत्याधुनिक हथियार और संचार प्रणाली से युक्त है। 

* आई.एन.एस. सिंधुरक्षक-यह एक डीजल इलेक्ट्रिकल पनडुब्बी है। इसका

निर्माण रूस द्वारा किया गया। इसे 1997 में नौसेना में शामिल किया गया।

 * आई.एन.एस. शिवालिक परियोजना 17 के तहत् मुम्बई को मझगाँव डॉक से निर्मित होने वाला प्रथम पोत है। इसकी लम्बाई 143 मीटर तथा इसका वजन 6000 टन है। इस युद्धपोत में आधुनिकतम नियन्त्रण प्रणालियाँ तथा रडार की

पकड़ में आने से बचने की तकनीक का प्रयोग किया गया है।


* आई.एन.एस. ब्रह्मपुत्र-यह गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स कलकत्ता द्वारा बनाया गया। यह एक गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है। यह अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों तथा प्रक्षेपस्त्रों से युक्त है। इसे वर्ष 2000 में सेना में शामिल किया गया।


* आई.एन.एस. घड़ियाल इसका निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा किया गया। इसे वर्ष 1997 को नौसेना में शामिल किया गया। इसकी गति 15 समुद्री मील है। इस पर एक हेलीकॉप्टर, विमान भेदी तोप, रॉकेट प्रक्षेपक रखने की सुविधा है। यह नौसेना की पूर्वी कमान में शामिल है।


* आई.एन.एस. सतपुड़ा - यह परियोजना - 17 का दूसरा युद्धपोत है। यह बहुमुखी नियन्त्रण प्रणालियों और रडार क्रॉस-सेक्शन रिडक्शन गुणों व मिसाइल क्षमताओं से सुसज्जित है। यह युद्धपोत सतह के हवा में मार करने वाली इजरायली बराक मिसाइल, रूसी क्लब क्रूज मिसाइल प्रणाली, टारपीडो पनडुब्बीरोधी मिसाइल तथा दो हेलीकॉप्टर से सुसज्जित है।


* आई.एन.एस. सहयाद्री - यह परियोजना-17 का तीसरा व अन्तिम पोत है। यह 4900 टन वजन का है। यह 142.5 मीटर लंबा है। यह 'स्टील वारशिप' है। इससे ब्रह्मोस जैसी अत्याधुनिक एंटीशिप क्रूज मिसाइल दागी जा सकती है। यह अपने साथ दो हेलीकॉप्टर ले जाने में सक्षम है।

* आई.एन.एस. चक्र - आई. एन. एस. चक्र रूसी परमाणु पनडुब्बी नेरपा का भारतीय नाम है। रूस ने इसे भारत को 10 साल के पट्टे पर दिया है। यह पनडुब्बी समुद्र के भीतर 600 मीटर तक रह सकती है तथा तीन महीनों तक लगातार यह समुद्र के भीतर रह सकती है। इसकी गति 30 समुद्री मील है तथा यह 8 टॉरपीडो से लैस है।


* आई.एन.एस शाल्की- यह देश में निर्मित प्रथम पनडुब्बी है। यह डीजल इलैक्ट्रिकल पनडुब्बी है। इसकी गति 11 समुद्री मील है। इसे वर्ष 1992 में नौसेना में शामिल किया गया। 

* आई.एन.एस. - विभूति यह प्रथम स्वदेश निर्मित मिसाइल नौका है। इसे वर्ष 1991 में मझगाँव बन्दरगाह, मुम्बई में उतारा गया। 

* आई.एन.एस. विपुल- यह दूसरी मिसाइल नौका है। इसमें थल-से-थल तथा थल से हवा तक मारने वाली मिसाइल मौजूद है। इसे वर्ष 1992 में नौसेना में शामिल किया गया।

सागर ध्वनि - सागर ध्वनि डीआरडीओ का प्रथम अनुसंधान जहाज है। यह पनडुब्बी संसूचक प्रणाली के लिए आँकड़े उपलब्ध कराने के साथ-साथ

चुम्बकीय मानचित्र का कार्य भी कर सकता है।


* आई.एन.एस. दर्शक- इसका निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में किया गया था। इसमें मल्टीवास स्वाय इको साउंडिंग प्रणाली, डिफरेन्शीयल ग्लोबल पोजिशनिंग प्रणाली तथा गतिशील संवेदकों इत्यादि की व्यवस्था है। ॐ आई.एन.एस. अश्विनी-यह सभी नौसैनिक अस्पतालों में प्रथम है। यह सेना के अंगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराता है। 

 आई.एन.एस. तरंगिनी- आई.एन. एस. तरंगिनी भारतीय नौसेना का बड़ा पोत है। इसे वर्ष 1997 में सेना में शामिल किया गया था, इसका निर्माण गोवा शिपयार्ड द्वारा किया गया था।


* आई.एन.एस. प्रबल - स्वदेशी तकनीक से निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों से लैस इस युद्धपोत को नौसेना की पश्चिम कमान में शामिल किया गया है।


● आई.एन.एस. विक्रांत-इसे 1960 में ब्रिटेन से आयात किया गया था। इसने 1971 के पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

आई.एन.एस विक्रांत 36 वर्ष पश्चात् वर्ष 1997 में नौसेना से अलग हुआ था।


* आई.एन.एस. विराट- वर्ष 1997 में विक्रांत के सेवामुक्त हो जाने के पश्चात् इसने विक्रांत की जगह ली। इसका नाम एच. एम. एस. हर्मस था। वर्ष 1987 में इसे भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया। इस पोत पर एक साथ 18 लड़ाकू वायुयान रखे जा सकते हैं। यह अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण होने के अतिरिक्त हवा से हवा में मार करने वाली और समुद्र में छिपी पनडुब्बियों से बचाव की तकनीक इत्यादि से लैस है।


* आई.एन.एस. विक्रमादित्य यह भारतीय नौसेना का एक युद्धपोत है। यह विराट के पश्चात् दूसरा वायुयान वाहक पोत है। यह पोत रूस से उपहार स्वरूप प्राप्त है जिसका नाम एडमिरल गोर्शकावे था। यह 45,300 टन भार का 284 मीटर लम्बा तथा 60 मीटर ऊँचा युद्ध पोत है।


* आई.एन.एस. अरिहंत - यह परमाणु शक्ति चलित भारत की प्रथम पनडुब्बी है। इस परमाणु पनडुब्बी की विस्थापन क्षमता 6000 टन है। इसमें 82 मेगावॉट बिजली उत्पन्न करने वाला परमाणु रिएक्टर लगा है।


 * आई.एन.एस. अस्त्रारिणी - यह भारतीय नौसेना का पूर्णतः स्वदेश निर्मित तारपीडो प्रक्षेपक एवं रिकवरी पोत है।


मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र) प्रौद्योगिकी


मिसाइल एक निर्देशित व स्वचालित रॉकेट है। निर्देश प्रणाली, लक्ष्य निर्धारित प्रणाली, उड़ान नियन्त्रण प्रणाली ईंधन, इंजन तथा युद्धक शीर्ष एक मिसाइल के प्रमुख भाग होते हैं। भारत में प्रमुख मिसाइलों का विवरण निम्न है : 

मोक्षित मिसाइल-इस मिसाइल की तकनीक रूस से इंपार्ट की गई है। इसकी रेंज 120 किमी तक है। इसका इस्तेमाल सिर्फ नौ सेना में किया जा सकता है।  

प्रहार मिसाइल यह भारत की कम रेंज वाली एक शक्तिशाली मिसाइल है। इसकी रेंज 150 किलोमीटर है। यह थल सेना एवं वायु सेना के लिए बनाई गई है। 

* पृथ्वी सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल में दो छल्ले वाले इंजन में द्रव प्रणोदक का प्रयोग किया जाता है। लगभग 8.56 मीटर ऊँची 'पृथ्वी' को स्वदेश में ही विकसित किया गया है। इसकी न्यूनतम मारक क्षमता 40 किलोमीटर है; पृथ्वी - 1 ( 150 किमी.), पृथ्वी - II (250 किमी.), पृथ्वी - III (350 किमी.) इसके संस्करण हैं।

त्रिशूल धरती से हवा में मार करने वाले त्रिशूल प्रक्षेपास्त्र का 28 दिसम्बर, 1996 को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। स्वदेश निर्मित इस प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता 500 मीटर से 9 किमी. है। इसका प्रयोग किसी जहाज के नीचे उड़ रही आक्रमणकारी मिसाइलों के खिलाफ समुद्ररोधी द्रुतगामी मोटर नाव के रूप में भी किया जा सकता है।


* आकाश-सतह से हवा में मार करने वाला एक मध्यम दूरी का बहुलक्ष्यात्मक प्रक्षेपास्त्र है, जो एक साथ समान रूप से पाँच एयर क्राफ्ट या मिसाइल को निशाना बना सकता है। इसकी मारक क्षमता करीब 25 किमी. है। यह भारत की पहली मिसाइल है, जिसके प्रणोदक में रूमजेट सिद्धांतों का प्रयोग किया गया है। * नाग- भारत के इस टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र का चांदीपुर में 29 नवंबर, 1990 को सफल परीक्षण किया गया। 'दागो और भूल जाओ' सिद्धान्त पर आधारित इस मिसाइल की मारक क्षमता 3-7 किमी. है।


* ब्रह्मोस जमीन से आकाश में मार करने वाली यह मिसाइल भारत-रूस का संयुक्त प्रयास है। इसका नामकरण भारतीय नदी ब्रह्मपुत्र एवं रूस की नदी मस्कोवा के नाम पर किया गया है। यह नवम्बर, 2006 से भारतीय नौसेना एवं भारतीय सेना की सेवा में है। इसकी इकाई लागत 2.73 मिलियन डॉलर है। वजन 3,000 किग्रा. एवं लंबाई 8.4 मीटर है। यह 300 किग्रा. परम्परागत आयुध सामग्री ले जा सकता है।


* अस्त्र - डीआरडीओ ने हवा से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र, अस्त्र का विकास किया है। 3.8 मीटर ऊँचा व 10 इंच मोटाई वाला यह प्रक्षेपास्त्र 25 से 40 किमी. दूरी तक मार करने में सक्षम है।

 * सागरिका - रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा 700 किमी. मारक क्षमता वाले सक्षम बॉलिस्टिक मिसाइल का विकास किया गया है। टबरेजेट से चलने

वाली यह मिसाइल 500 किमी तक विस्फोटक ले जा सकती है। इसकी लंबाई

8.5 मीटर है और इसका व्यास 1 मीटर है।

* पिनाका 28 सितम्बर, 1997 की चाँदीपुर परीक्षण केन्द्र से 39 किमी. मारक क्षमता वाली स्वदेश निर्मित बैरल रॉकेट लांचर प्रणाली 'पिनाका' का सफल परीक्षण किया गया। इसका विकास ए. आर. डी. ओ. पुणे में किया गया है। यह सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की मल्टी बैरल रॉकेट लांचर प्रणाली है

 * धनुष पृथ्वी के नौकायन संस्करण को धनुष का नाम दिया गया है, जिसका आंशिक रूप से सफल परीक्षण 11 अप्रैल, 2000 में किया गया था। इसका प्रक्षेपण आई.एन.एस. सुभद्रा नामक जलयान से किया गया था। यह सतह से सतह पर मार करने वाली (700 किमी.) मिसाइल है जो परमाणु आयुध सामग्री ले जाने में सक्षम है।


अग्नि-I-जमीन से जमीन पर मार करने वाली इस बैलेस्टिक मिसाइल का वजन 1 टन एवं मारक क्षमता 1500 किमी. है। महत्वपूर्ण है कि इसका सफल परीक्षण मई 1989 को किया गया।


* अग्नि-II - मध्यम दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली 'अग्नि-II' प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता 2000-3000 किमी. है। 21 मीटर लम्बे और 1.3 मीटर चौड़े इस प्रक्षेपास्त्र के पहले चरण में ठोस और दूसरे चरण में तरल ईंधन का प्रयोग होता है।


* अग्नि-III-जमीन से आकाश में मार करने वाली इस बैलेस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 3500 किमी. से 5000 किमी. है। इसका सफल परीक्षण व्हीलर द्वीप ओडिशा से किया गया। यह जून, 2011 से भारतीय सेना में कार्यरत है। 

* अग्नि-IV - 15 नवम्बर 2011 को भारत ने जमीन से जमीन पर मार करने वाली लंबी दूरी के अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र अग्नि-IV का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। प्रक्षेपास्त्र हल्के वजन का है और इसमें ठोस प्रणोदक के दो चरण और एक पेलोड है। इसकी मारक क्षमता 3000-4000 किमी. है।


* अग्नि-V - देश के एकीकृत विकास कार्यक्रम में इतिहास रचते हुए भारत ने लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-V का 14 अप्रैल, 2012 को परीक्षण किया, इसकी मारक क्षमता 5000-8000 किमी. है।

 • अग्नि-VI - यह अग्नि मिसाइलों में नवीनतम और सबसे उन्नत संस्करण होगा।


यह एक अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल है।


* सूर्या- 1 - भारत क्रायोजनिक इंजन प्रौद्योगिकी प्रणाली का उपयोग करते हुए एकल

चरण तरल ईंधन रॉकेट पर आधारित 5000 से 8000 किमी. मारक क्षमता वाले

अंतर्महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल का विकास कर रहा है। 

शौर्य - 12 नवम्बर, 2008 को देश में निर्मित सतह से सतह पर वार करने में सक्षम मध्यम दूरी की मारक क्षमता (600 किमी.) वाली बैलेस्टिक मिसाइल शौर्य का परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा चाँदीपुर (ओडिशा) से सफलतापूर्वक किया गया, यह मिसाइल K-15 सागरिका मिसाइल का भूमि संस्करण है।


* निर्भय - यह 1000 किमी. तक मार करने वाली स्वदेशी सब सोनिक क्रूज मिसाइल है। इसका त्रिसंस्करण भारतीय सेना, नौसेना एवं वायुसेना के लिए निर्मित किया गया है। यह प्रक्षेपास्त्र डी.आर.डी.ओ. की एडवांस्ड सिस्टम लेबोरेटरी ने बनाया है। इसकी क्षमता 300 किलोग्राम तक के परमाणु वारहेड अपने साथ ले जाने की है।


प्रद्युम्न पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल का नाम प्रद्युम्न बैलेस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर कर दिया गया है। यह 80 किमी. तक की अधिकतम ऊँचाई का एक अंतर्ग्रहण है जोकि 300 किमी. से 2000 किमी. तक की बैलेस्टिक, मिसाइलों को बेधने में सक्षम है।


* स्वप्न - डी. आर.डी.ओ. द्वारा स्वप्न नामक लंबी दूरी के एक ऐसे प्रक्षेपास्त्र का विकास किया जा रहा है, जो अमेरिकी क्रूज प्रक्षेपास्त्र में लक्ष्य को बेधने के बाद वापस अपने आधार पर लौटने के लिए निर्देशात्मक प्रणाली का प्रयोग करेगा।

परमाणु प्रौद्योगिकी

 वर्तमान में अमेरिका और रूस ऐसे देश हैं जो जल, स्थल तथा वायु तीनों  जगहों से परमाणु हमला करने की क्षमता रखते हैं। भारत और चीन भी इस

दिशा में प्रयासरत हैं। 1998 के परमाणु परीक्षण के पश्चात् भारत परमाणु बम


•बनाने की क्षमता वाला राष्ट्र हो गया है। वर्तमान में भारत के पास 'पृथ्वी' तथा ' अग्नि' जैसे जमीन से परमाणु आयुध छोड़ने जैसे प्रक्षेपास्त्र हैं।

 * भारत अपने पास उपलब्ध युद्धक विमान मिराज, तेजस, सी-हारियर, जुगआर, राफेल, मिग, सुखोई से आकाश से परमाणु हमला करने में सक्षम है। पनडुब्बी से छोड़ी जा सकने वाली मिसाइल सागरिका का परीक्षण सफल हो गया है।


भारतीय रडार या निगरानी प्रणाली


'रडार' वस्तुओं का पता लगाने वाली एक प्रणाली है, जो सूक्ष्म तरंगों का प्रयोग करके गतिमान वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, मोटरगाड़ियों इत्यादि की दूरी ऊँचाई, दिशा का पता बताती है। रडार से तात्पर्य रेडियो डिटेक्शन एण्ड रेंजिंग है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने वर्ष 1960 से रडार निर्माण प्रारम्भ किया।


विभिन्न भारतीय रडार


* रोहिणी रडार-यह एक 3D रडार है। इसे डीआरडीओ द्वारा विमान के निशानों का पता लगाने तथा आकाश पर निगरानी करने के लिए बनाया गया।


* राजेन्द्र रडार-यह एक स्कैन चरणबद्ध सारणी रडार है। इसमें कई लक्ष्यों और मिसाइलों का पता लगाने तथा उनका नियन्त्रण व मार्गदर्शन करने की क्षमता है। * इन्द्र-I यह नीचे स्तर के लक्ष्यों का पता लगाने के लिए 2D रडार है। इसका विकास, मैसर्स बैल द्वारा किया गया है। इसे सेवा में शामिल कर लिया गया है।


* इन्द्र-II-यह रडार लक्ष्यों के भूतल नियंत्रित अवरोधक के लिए इन्द्र रडार का परिवर्तित रूप है। यह नीचे उड़ रहे विमानों का पता लगाने के लिए पल्स कंप्रेशन का प्रयोग करता है।

 * युद्ध क्षेत्र निगरानी रडार ( BFSR) - यह मानव सुवाच्य बैटरी चालित निगरानी रडार है। इस रडार का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। इसके प्रयोक्ता अनुकूल निगरानी ई-सेंसर है। इसे एक विशिष्ट क्षेत्र में खोजबीन करने तथा मार्गों का पता लगाने के लिए विश्वसनीय तथा पथ प्रदर्शन रडार के रूप में निर्मित किया गया है।


* सामुद्रिक गश्ती हवाई रडार XV-2004- यह एक बहुमुखी समुद्री निगरानी हवाई रडार है, जो समुद्र निगरानी खोज तथा बचाव अभियानों में सहायता प्रदान करता है।


* रेवती- यह भी एक 3D रडार है। इसका प्रयोग अवरोधन के लिए मध्यम भार 3D की हवाई निगरानी 3D लक्ष्य ट्रैकिंग और संकेतक के रूप में तथा प्राथमिक संवेदक के रूप में समुद्र सतह की निगरानी के लिए होता है। यह रडार उन्नत प्रौद्योगिकी पर आधारित है।


वेपन लोकेटिंग रडार (WLR) इसका उपयोग हथियारों का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह एक सुसंगत, इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किया हुआ सी-बैंड प्लस डॉपलर रडार है। यह रडार दुश्मन की तरफ से हो रही फायरिंग की लोकेशन या ठिकाने का सटीक पता लगाता है। इस रडार सिस्टम की रेंज 30 से 50 किमी तक है।


+ 3D कुशल नियंत्रण रडार ( 3D TCR)- यह रडार सभी प्रकार के मौसमों में आकाशीय लक्ष्यों की खोज एवं पहचान के लिए 3D निगरानी रडार है। यह एक मोबाइल रडार है।



Post a Comment

0 Comments