B. अघात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals)
अधात्विक खनिजों को हम निम्न श्रेणियों में विभक्त करके अध्ययन कर सकते हैं।
1. आणविक (Atomic Minerals) 2. उर्वरक खनिज (Fertiliser Minerals ) 3. रासायनिक खनिज (Chemical Minerals) 4. मूल्यवान पत्थर (Precious Stones) 5. आयामी एवं सजावटी पत्थर (Dimensional and Decorative Stone)
(1) आणविक खनिज
इन खनिजों का उपयोग आणविक कार्यों के लिए किया जाता है। इनमें प्रमुख खनिज निम्न हैं :
अभ्रक(Mica)
राजस्थान देश का तीसरा बड़ा अधक उत्पादक राज्य है जो देश का लगभग 22% अत्रक उत्पादन करता है।
उपयोग: अप्रक के उपयोग विविध है। इसे दवाइयों बनाने (अभ्रक का भस्म), सजावट, आभूषणों, अग्नि प्रतिरोधक आणविक इन्सुलेटिंग ब्रिक्स बनाने में काम लिया जाता है। अक की ईटें बनाने का एक कारखाना भीलवाड़ा में स्थापित किया गया है।
उत्पादक क्षेत्र : राजस्थान में अप्रक का उत्पादन एक पेटी में उत्तर-पूर्व में सोकर से लेकर दक्षिण-पश्चिम में उदयपुर तक होता है।
दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र
भीलवाड़ा एवं उदयपुर दोनों जिलों में राजस्थान राज्य का 75% अभ्रक का उत्पादन होता है। भीलवाड़ा में एशिया में उत्तम किस्म का अधक ईंट उद्योग ही उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अभ्रक का उत्पादन जयपुर एवं टॉक जिले में होता है। माधोराजपुरा और दठूलो गाँव के बीच स्थित 'मोती' खान पचास के दशक में उत्तम कोटि के अभ्रक का बहुत अधिक उत्पादन करतो थी किन्तु अब बन्द हो गई है। भीलवाड़ा में दांता, भूणास, टूंका, बनेड़ी, फूलिया आदि अन्य अधक उत्पादक क्षेत्र हैं। इनक अलावा खण्डेला, रोहिता क्षेत्र (सीकर), भूणास जहाजपुरा (भीलवाड़ा) में भी अभ्रक का उत्पादन होता है। अन्य क्षेत्र सौकर जिले में काचरवाड़ा, मकरी और मुण्डा की खदानें और अलवर, अजमेर, किशनगढ़, ब्यावर, पालो में भी
कुछ स्थानों पर अधक के भण्डार उपलब्ध हैं।
ऐस्बेस्टॉस (Asbestos)
यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रेशे वाला खनिज है। यह अघुलनशील एवं ताप अवरोधक खनिज है। इसका उपयोग ताप निरोधक वस्तुओं, सीमेण्ट को चादरें, पाइप बॉयलर्स, चलचित्र (सिनेमा हॉल) के पर्दे के निर्माण में होता है। राज्य में एम्फोबोलाइड, क्रोइसोलाइट, ट्रिमोलाइट किस्म का ऐस्बेस्टॉस पाया जाता है। क्राइसोलाइट सबसे उत्तम किस्म का ऐस्बेस्टॉस माना जाता है यह सपेण्टाइन में मिलते हैं।
ऐस्बेस्टॉस शिस्ट जैसे कार्याान्तरित शैल के साथ मिलता है। इसके खनन के प्रमुख क्षेत्र अंग्राकित हैं :
अजमेर में नैराला, कनवाली, नेनहुई, अर्जुनपुरा, पाली में सेन्द्रा, मानपुरा, डूंगरपुर में नलवा, घंटोगला, घोघरा, देवल, राजसमन्द में दिखी और गुड़ा उदयपुर में झाडौल, बरोली, किरत, जांजर की पाल, रिषभदेव, धलाना-ओढवास
यूरेनियम : यूरेनियम, रेडियम, थोरियम, जिरकन आदि आणविक खनिज होते हैं। यद्यपि यूरेनियम का खनन राजस्थान राज्य में होता है किन्तु उत्पादन नगण्य है। इसका उत्पादन हँगरपुर, बाँसवाड़ा, और अजमेर जिले में (किशनगढ़) किया जाता है।
लिथियम : लिथियम का उत्पादन अजमेर एवं राजगढ़ की खानों से होता है जो बहुत कम है।
ग्रेफाइट अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा से निकाला जाता है।
(2) उर्वरक खनिज
इनसे विभिन्न प्रकार के उर्वरकों का उत्पादन होता है
Gypsum
यह खनिज हरसौंठ, सेलेनाइट, खड़िया भी कहलाता है। राजस्थान उर्वरक खनिजों के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण है। राजस्थान में देश के कुल जिप्सम जमाव 1,05555 मिलियन टन (82%) पाया जाता है। यहाँ देश के जिप्सम का 94% तथा 74% रॉक फास्पट उत्पादन होता है। जिप्सम जिसका सर्वाधिक उपयोग रासायनिक उर्वरक बनाने में होता है। इसमें कॅल्सियम का सल्फेट होता है। यह
क्षारीय भूमि के उपचार हेतु प्रयुक्त होता है।
उपयोग: इसके कई उपयोग हैं किन्तु रासायनिक उर्वरक बनाने, प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण, रंग रोगन, बनाने, सीमेंट, अमोनिया सल्फेट बनाने आदि के काम में अधिक आता है।
उत्पादक क्षेत्र जिप्सम के विशाल भण्डार बीकानेर और बाड़मेर जिले में पाये जाते हैं।
(1) नागौर क्षेत्र नागौर जिले में जिप्सम के अकूत अछूते और असर्वेक्षित देश के दो-तिहाई भण्डार पाये जाते है।। भू-तत्ववेत्ताओं का अनुमान है कि अकेले नागौर जिले में 95 करोड़ टन से भी अधिक भण्डार उपलब्ध है। यहाँ की गोठ-मंगल क्षेत्र की मुख्य खानें गोटन-मांगलोद , धाकोरिया, मालगू, भादवासी, भड़ान, जोधियासी, मंगोल और नागौर आदि है।
(ii) बीकानेर-चूरू-श्रीगंगानगर क्षेत्र इस क्षेत्र में भारत का 17 प्रतिशत और राजस्थान का 19 प्रतिशत जिप्सम निकाल है। इस क्षेत्र का सबसे अधिक जिप्सम उत्पादन बीकानेर-भटिण्डा रेलमार्ग पर बीकानेर जिले के 'जामसर' क्षेत्र से होता है। हा सम्पूर्ण उत्पादित जिप्सम सिन्दरी के रासायनिक उर्वरक बनाने वाले कारखाने को जाता है।
(iii) मेर-पाली क्षेत्र इस क्षेत्र के जमाव विरल, बिखरे हुए एवं कम उत्पादन वाले है। बाड़मेर जिले में तथा की जिप्सम की खाने अन्य महत्त्वपूर्ण । उत्तर लाई, कुरता, मधुपुर का वास, श्योकर, पीर की दाणी में जिप्सम के जमाव पाये जाते हैं। पाली जिले में खानी में जिस के जमाय है। राजस्थान में देश के 82% सुरक्षित भण्डार है।
रॉक फास्फेट (Rock-Phosphate)
रॉक फास्फेट आधुनिक युग में बहुत उपयोगी खनिज माना जाता है।
उपयोग रॉक फास्फेट रासायनिक उर्वरक बनाने में उपयोग में आने वाला एक महत्वपूर्ण खनिज है। यह लवणीय भूमिके हेतु प्रयुक्त होता है। RSMDC द्वारा झामर कोटड़ा में एक बेनिफिशियन संयंत्र व एफ्ल्यूपेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। 1966 जैसलमेर के पास विरमानिया में एक-फास्फेट का खजाना खोज निकालने के बाद इसका सर्वेक्षण उत्पादन एवं उपयोग बा उत्पादन क्षेत्र: राजस्थान का उदयपुर क्षेत्र एक-फास्फेट के उत्पादन में अग्रणी क्षेत्र है। उदयपुर जिले के झामाकोटड़ा खार-वारिधान, मातुन, कानपुर, डोल्कीपाती, कन-कोटड़ा, आदि में लगभग 10 करोड़ टन के विशाल भण्डार झारकोटड़ा को खदानों के ही सुरक्षित भण्डार 5.5 करोड़ टन के माने गये हैं। झामर कोटड़ा से देश का रॉक-फास्फेट का उत्पादन होता है झामर कोटड़ा खदान को राज्य की 1999 को सर्वश्रेष्ठ प्रदान का खिताब दिया गया है।
मेर जिले में मेरा सड़क के सहारे फतेहगढ़ तथा विस्मानिया के समीप लाठी शैल समूहों में रॉक फास्फेट का विपुल भण्डार पाया जाता है। यहाँ लगभग 50 लाख टन के सुरक्षित भण्डार हैं। जयपुर जिले के 'अचरोल' आडका-अण्डावारी एक फॉस्फेट के जमाष अरावली महासंध से संबंधित है। सलादीपुरा क्षेत्र (सीकर) में मिलने वाले पायराइट और पिराटाइट की चट्टानों में मिलते हैं।
पोटाश (Potash)
एजस्थान में लगभग 30,000 किमी क्षेत्र में पोटाश पाया जाता है। मुख्यतः पोटाश का जमाव श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, एक और नागौर जिले में है। इसके आठ उप-बेसिन हैं, वे हैं- बीकानेर, हंसेरा, अर्जुनसर, धरसीसर, जैतपुर, सतीपुरा, भैरूसारी और यहां सतोपुरा, भैरूसारी और लाखासर में 3% k ग्रेड तथा अन्य में 2% k ग्रेड मिलता है। 3% k का जमाव 2,476.58 न टन है। राज्य में जिप्सम, रॉक फास्फेट और पोटाश आधारित उद्योगों की प्रचुर सम्भावना है।
पाइराइट (Pyrites)
पाइराइट्स का प्रयोग भी उर्वरक एवं गंधक का तेजाब बनाने में होता है।
उत्पादन क्षेत्र: सीकर जिले में सलादीपुरा क्षेत्र में पाइराइट के भण्डार हैं। इन भण्डारों से हो राज्य का अधिकांश पाइराइट निकाला जाता है। उर्वरक उद्योग का विकास इन खदानों से सम्भव है। इसी कारण सलादीपुरा में एक उर्वरक कारखाना भी विकसित किया गया है।
फेल्सपार (Felspar) Ajmen Rj 61% फेल्सपार रासायनिक दृष्टि से सोडियम, पोटेशियम एवं कैल्सियम के सिलिकेट्स हैं। राज्य में इस खनिज की प्राप्ति पेरमेटाइट शैलों से होती है। देश में फेल्सपार के कुल 161.38 लाख टन के भण्डार हैं जिनमें से राज्य में 98.67 लाख टन है जो कि देश लगभग 61 प्रतिशत है। देश में राज्य को इस खनिज के उत्पादन में 70 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी है। राज्य में उत्पादित फेल्सपार उच्च कोटि का है। राज्य में फेल्सपार के उत्पादन में अजमेर जिला अग्रणीय है तथा अन्य महत्वपूर्ण उत्पादित क्षेत्र भीलवाड़ा, राजसमंद, पाली, टॉक और सीकर हैं।
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